कही अनकही …

‘Telling The Untold’

पैरों में जलन —

ये समस्या लेकर 27 वर्षीय विवाहिता पूनम मेरे पास आई और कहने लगी कि पिछले कई सालों से यानि कि विवाह के पश्चात् से ही उसके दोनों पैरों में तेज़ जलन शुरू हो गई है जिसके इलाज कि लिए वो ऐलोपैथिक, होमीओपैथिक, आयुर्वेदिक सब तरह की चिकित्सा करवा चुकी है , किन्तु कोई लाभ नहीं हुआ। और अब वो past life regression therapy भी करवा के देखना चाहती है ।

जब उसने पूर्वजन्म में प्रवेश किया तो वो महाराष्ट्र के नासिक जिले के दासक गाँव में बाल विवाह की हुई 16 साल की लड़की ‘पूर्णिमा’थी जिसका विवाह अपने से बहुत अधिक उम्र के आदमी से हुआ था । अगले दृश्य में वो अपने पति के बारे में बात कर रही थी और कहती जा रही थी कि उसका पति बहुत ग़ुस्से वाला है। कोई भी आदमी मुझसे बात करता है तो उसको अच्छा नहीं लगता है । फ़िर अगले दृश्य में वो बहुत डरी हुई कहती है कि आज मेरा पति नाराज़ होगा क्योंकि आज खाना बनाने में देर हो गई है। घर में सामान भी नहीं है ।

अगले दृश्य में वो घर के बाहर सब्ज़ी ख़रीद रही थी और सब्ज़ी वाला उससे बातें कर रहा था । अचानक से वो डर जाती है कि उसका पति आ गया है और उसने उसे घर के बाहर बात करते देख लिया है । दो तीन मिनट के लिए वो बिलकुल शांत हो गई। फिर अचानक वो चिल्लाने लगती है और ज़ोर ज़ोर से पैर पटकने लगी फ़िर रोने लगी। रोते हुए ही उसने बताया कि मेरे पति ने मुझे घर के बाहर देखा था और ग़ुस्से में आकर बोला की तू बाहर क्यूँ गई और उसी ग़ुस्से में मेरे दोनों पैरों पर कड़ाही में रखा गरम तेल डाल दिया और मुझे घर में बंद करके चला गया और अब मेरे पैरों में बहुत तेज़ दर्द जलन हो रही है और मैं घर में अकेली हूँ और कोई नहीं है जो मेरी मदद करेगा ।

अब वो घर में अकेली थी फ़िर धीरे धीरे इसी जलन और पीड़ा से पूर्णिमा की मृत्यु हो गई और कुछ क्षणों बाद रोते रोते वो बिलकुल शांत हो गई ।

पूनम अपने पति को इस कृत्य कि लिए कभी क्षमा नहीं कर पाई और क्यूँकि उसकी मृत्यु इसी पीड़ा में हुई थी इसीलिए उसके पाँव में जलन का अहसास भी बना हुआ था ।

Past life regression therapy की मदद से पूनम ने अपने पति को उसके कुकृत्य के लिए क्षमा कर दिया और स्वयं को भी उसने इस क्रोधाग्नि से मुक्त कर लिया ।

पूनम ने कुछ दिन बाद बताया कि इस थेरपी की मदद से अब वो उस जलन और पीड़ा से मुक्त हो चुकी है और स्वस्थ जीवन बिता रही है 🙏

बाएँ हिस्से में दर्द…

आएशा 24 वर्ष की एक मेडिकल स्टूडेंट है और उसने बताया कुछ महीने पहले उसकी कार का ऐक्सिडेंट हुआ था , जिसमें वो बाल बाल बच गई लेकिन उसके बाद से उसके शरीर के बाएँ हिस्से में असहनीय दर्द रहने लगा है। उसने काफ़ी टेस्ट करवाए ,सोनोग्राफ़ी इत्यादि भी करवा चुकी थी लेकिन कहीं कोई भी वजह नहीं मिली इस दर्द की। आख़िर कब तक वो दर्द की दवा लेती रहती इसीलिए उसकी एक friend ने उसे ‘past life regression’ थेरपी लेने की सलाह दी ।

आएशा अपने पूर्वजन्म में ‘Loren Peetar नाम की 24 वर्ष की युवती थी जो सम्पन्न ईसाई परिवार की इकलौती संतान थी , जिसकी एक महीने पहले ही शादी हुई थी ‘Kevin Atkinson’ के साथ , जो पेशे से एक वकील हैं और बहुत व्यस्त रहते हैं ।

आबले दृश्य मेंLoren अब अपनी माँ से बहस कर रही थी कि माँ और पिता दोनों उसके साथ रहें क्यूँकि वो दोनों काफ़ी वृद्ध हो चुके हैं और उनकी देखभाल कि लिए कोई भी नहीं है।लेकिन उसके माता पिता इसके लिए तैयार नहीं हैं ।

अगले दृश्य में Loren बताती हैं कि वो अपनी कार में आगे ड्राइवर के बग़ल वाली सीट पर बैठी हैं और उसके माता पिता पीछे सीट पर बैठे हैं ।उसके पिता कहते हैं कि वो लोग सिर्फ़ उसकी ज़िद पर उसके घर जा रहे हैं लेकिन Loren बहुत ख़ुश है ।

अचानक Loren अपने ड्राइवर को कार की तेज रफ़्तार के लिए चिल्लाती हैं और फिर वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुए शांत जो जाती हैं । और अगले दृश्य में वो हॉस्पिटल में पड़ी हैं उनके शरीर के बाएँ हिस्से में काफ़ी गहरी चोटें आई हैं । Loren बताती हैं कि उनकी कर उनके बाएँ तरफ़ को पलट गई थी जिससे उनके शरीर के बाएँ हिस्से में गम्भीर चोटें आइ हैं , Loren रोने लगती हैं और कहती हैं मेरी वजह से मेरे माता पिता की उस ऐक्सिडेंट में मृत्यु हो गई , ड्राइवर की भी मृत्यु हो गई और सिर्फ़ वही बची हैं । Loren आगे कहती हैं कि वो अपने आपको इसके लिए कभी माफ़ नहीं करेंगी।

Loren ने स्वयं को दोषी समझकर इसी पश्चाताप में शेष जीवन बिता दिया। past life regression therapy की मदद से आएशा को स्वयं को क्षमा करके इस आत्मग्लानि से मुक्त कराया और इस प्रकार उसकी पूर्वजन्म की यात्रा यहीं समाप्त हो जाती है ।

आएशा ने कुछ दिन बाद बताया कि उसके शरीर के बाएँ हिस्से का दर्द स्वयं ही समाप्त हो गया है और अब वो अपने जीवन को भरपूर आनंद से बिता रही है।

कही अनकही..

बड़ी विचारी दुविधा है ये, ये प्रश्न काल पर भारी है,

महाविनाश की बेला में, द्रौपदी निःशब्द सी नारी है।

हे पांचाली दोष तुम्हारे, अब भी स्मृतिधारी हैं।

जिन शब्दों ने कुरूवंश की सम्मानित बेल उतारी है,

भूल गई क्यूँ उन कर्मों की, तू भी उतनी अधिकारी है।

हे पांचाली! दोष तुम्हारे, अब भी स्मृतिधारी हैं।

बिखर गईं वो माताएँ, काल ने जिनकी गोद उजाड़ी है,

कितनों का मिटा सुहाग, भला ये युद्ध कहाँ हितकारी है।

हे पांचाली! दोष तुम्हारे, अब भी स्मृतिधारी हैं।

निज सखी बना कर धन्य किया, वो भले कृष्ण गिरधारी हैं।

यदि बोया बीज बबूल, तो फिर आम कहाँ फलिहारी है।

हे पांचाली! दोष तुम्हारे, अब भी स्मृतिधारी हैं।

DrRatna Mishra

Published by positiveratna

I love & accept myself the way I am.. & I appreciate others the same way ..

One thought on “कही अनकही …

  1. I am happy that psycho-physical health issues are being addressed by such methods. It has provided curation when conventional medical intervention has failed. These finding show how little we know of our brain and power of emotions. Good work. Inam sure that some day modern scientific knowledge and these alternate therapy will converge and provide holistic natural cure.

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